By Riya Singla
यह सफ़र है कुछ अनजाना-सा,
ना समझा-सा, अनचाहा-सा,
कभी हर्षोल्लास भरे क्षण है तो कभी मायूसी भरे कण है,
कभी प्रेम, सांत्वना और भरोसे का प्रतीक है
तो कभी संदेह, आशंका और डर का दीप है,
कहीं पैसों का रोब है तो कहीं गरीबी का झोल है,
कहीं उगता सूर्य प्रकाशमान है तो कहीं अंधेरे को बड़ा अभिमान है,
कहीं निर्लज्जता पेशा है तो कहीं धूप से जूझना हमेशा है,
कोई ज़िंदगी काटता है तो कोई ज़िंदगी चलाता है,
कोई आगे बढ़ता है तो कोई पीछे लड़ता है,
कोई मेहनत करता है तो कोई आलसी बनता है,
किसी के पास बंगला गाड़ी है तो किसी के पास रंगला साड़ी है,
किसी के पास शान-ओ-शौक़त है तो किसी के पास रहस्यमयी लॉकेट है,
किसी के पास प्यार करने वाले माँ बाप हैं तो किसी के पास लाचारी और
अकेलेपन का श्राप है,
कहीं कोई मरता अपने आप है कहीं कोई चढ़ता किसी का पाप है,
कोई डर-डर कर जीता है कोई लड़-लड़कर मरता है,
ये ज़िंदगी का सफ़र है जनाब, अपनी मर्ज़ी से नहीं चलता है।
By Riya Singla
Brilliant… 👍👍
Everything will come to us at the right time..we just need to be patient
Gr8
Very good beta😘😘
It's really wonderful🤩😘☺️