By Rajani Diyewar
तुम उस सुबह की तरह हो,
जो उगते ही नई रोशनी फैलाती है|
तुम उस दोपहर की तरह हो,
जो फूलों की तरह मुस्कुराती है|
तुम उस शाम की तरह हो,
जो धीरे-धीरे ढलते ही,
एक नए फूल की तरह खिल जाती है|
तुम उस रात की तरह हो,
जिस पर चांद की रोशनी गिरते ही, तारों की तरह जगमगाती है |
तुम मेरे लिए एक नए दिन की तरह हो,
जो हर पल मुझे एक नया एहसास दिलाती है|
तुम ही मेरी सुबह हो,
तुम्ही सेही मेरी शाम है|
तुम ही मेरा दिन हो,
तुम्ही सेही मेरी रातें हैं |
By Rajani Diyewar
Comments