By Sachin Mujumdar
सुनो सात्विका होश सम्हालो
जो इस दुनिया में आई हो
खुदा की नेमत प्रसाद भगवन का
तुम साथ में लेकर आई हो
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
इस देश का यही नारा है
बुलंद करना इस झंडे को
अब ये वक़्त तुम्हारा है
तुम्ही लक्ष्मी तुम्ही सरस्वती
तुम ही तो दूर्गा माई हो
सुनो सात्विका होश सम्हालो
जो इस दुनिया में आई हो
कभी न डरना, ना घबराना
हिम्मत से अपने पाँव जमाना
रण-भूमि है अब ये तुम्हारी
भव-सागर से पार है पाना
तुम ही इंदिरा किरण उम्मीद की
तुम ही तो लक्ष्मीबाई हो
सुनो सात्विका होश सम्हालो
जो इस दुनिया में आई हो
गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा
ये नदियाँ तुझमे समाई है
जल है तो कल है बात समझ ले
जो तुझको मैंने सिखाई है
तू ही झेलम गोदावरी तू
तुम ही जग की भलाई हो
सुनो सात्विका होश सम्हालो
जो इस दुनिया में आई हो
By Sachin Mujumdar
Meri beti ke liye likhi kavita.
Bahut badhiya beti k liye.....😍🥳
ऐसे लोगों के चेहरे पर तमाचा है आपकी लेखनी जो स्त्री का अपमान करते है
आपकी कलम की स्याही ने लिखी शब्दावली से प्रकृति में भी स्त्री का आंचल फैला है
उजागर करता है, बार बार पठन करने का मन होता है