By Jeeshant Mathur (Shayak)
उसकी गोद में सर रखकर सोता रहा उम्र भर
मुझे ना तकिए पे सर रख के सोना नही आता
यह उसका फैसला था की हम अब बात नही करेंगे
अब बात नही होगी कभी इस बात पे रोना नहीं आता
मेरे से मेरी शर्ट के बटन आज कल उल्टे सीधे लगते हैं
वोह क्या हैं ना मुझे सूई में धागा पिरोना नही आता
रोज़ ब रोज़ दवात में बस रोटी नमक नोश फरमाते हैं
सब्जियां काटनी नही आती दाले भिगोना नही आता
इलाज नहीं हैं इस रोग का कोई ओर तेरे सिवा
खुदके हाथ से तो मुझे दावा भी पीना नही आता
छीन कर मेरी मोहब्ब्त मुझसे यह मज़हब पूछता हैं
खुश रहा करो जानी तुम्हे तो यार जीना नही आता
सुना हैं वोह मासूम रोज़ पिटती हैं अपने शौहर से
उसके निकाह के रंग लाल ही निकले हिस्से में हिना नही आता
By Jeeshant Mathur (Shayak)
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