By Sakshi Saxena
वक्त अपनी रफ़्तार से चलता गया
यूहीं बचपन गुजरता गया
आँखों में सजाकर सपने कई
ज़िंदगी के सफ़र पर हम सब निकल पड़े
कठिनाइयों से भरी डगर पर कदम हमने रखे
लेकिन इस सफ़र पर चलना आसान न होगा राही
अपने लक्ष्यों को पाना बचपन का खेल न होगा राही
जब चलो अपनी राह पर तुम तो याद रखना मेरी ये बातें
हर राह पर मिलेंगे तुम्हे काटें
पर तू डरना नहीं राही
आत्मविश्वास अपना खोना नहीं
उम्मीद का दामन छोड़ना नहीं
तू बस आगे बढ़ना राही,
मंजिल मिलेगी ज़रूर, यकीन तू रखना राही
तू रुक मत, बस आगे बढ़ना राही...
By Sakshi Saxena
👏🏻✨
Insightful !!
Amazing 😍
So inspiring line
NICE 😍😍