top of page
Noted Nest

Nadaniyan

Updated: Oct 4

By Priyanka Dubey



भटकती रही ये निगाहें,

ढूंढती रही दर- बदर,

जाने किसकी तलाश थी इन्हे

जो न मिल सका, या जिसकी हसरत थी दिल में


जो मिला उसे कभी अनमोल समझा,

कभी समझा उसे खाक,

ज़रूरत के हिसाब से,

बदलते रहे मिज़ाज़,

कोसा कभी खुदा को और कभी खुद को,

जाने कैसी उलझन से लड़ता रहा दिमाग,


चल पड़े कदम कभी उन रास्तों पर,

जो थे अनजाने पर सुकून से भरपूर,

बेपरवाह से हम देते रहे दिल को ये अंजना सा सुकून,

अजीब सी थी बेचैनी और अजीब सा था ये सुकून,

इस रास्ते की कोई मंज़िल नहीं था ये दिल को मालुम,


जानते थे की एक दिन लौटना होगा यही,

सिर्फ इसलिए शायद जी लेनी थी उन पलों में सारी ज़िन्दगी,

गर कभी उदास होगा ये दिल,

तो याद करके उन पलों को मुस्कुरा उठेगा ये दिल,


कोई खलिश सी है ज़िन्दगी में,

पर वो खुशगवार यादें, वो बेचैन सा चैन , वो अनजाना सुकून भर देगा उस खलिश को,


समझाया दिल को कुछ इस तरह,

की उसे भी है इज़ाज़त करने की कुछ मासूम सी गुस्ताखियां,

पर गुस्ताखियां भी ऐसी जो रहे मसला सिर्फ दिल और दिमाग का,

न खबर हो कभी किसी तीसरे को इस बारे में,

क्योकि इन गुस्ताखियों की मासूमियत की खबर नहीं है ज़माने में |


By Priyanka Dubey



6 views0 comments

Recent Posts

See All

रोती मुस्कान

By Atulyaa Vidushi पंछी था मन उसका दिल था कुछ मुसाफिर सा, कहता था समझता नहीं कुछ पर था हर बात से वाकिफ़ सा। मुस्कान लाता वो सबके चेहरे पर...

मेरा दिल

By Atulyaa Vidushi एक पन्ने पर  लिखू तो क्या बताउ अपनी बात , कहा एक पल में समझ पाउ मैं ; सुने मेरा दिल पहले मेरी, तब  तो किसी और को...

The Mask I Wear

By Khushi Tanganiya In a world of masquerades, I stood bare, While shadows donned faces they didn’t wear. Their eyes glittered with false...

Comments


bottom of page