By Srishti Shrivastava
मुझे इश्क है तुम्हारे साथ बिताए लम्हों से
तुम आओ और वक्त थम जाए।।
मुझे इश्क है तुम्हारे हर बातों से
तुम बोलते जाओ, हम सुनते जाए।।
मुझे इश्क है तुम्हारे चेहरे की खुशियों से
दर्द सिर्फ मेरे हो तुम्हारे हिस्से में खुशियां ही आए।।
मुझे इश्क है हर उस हसीन ख्वाब से
जिसमें हमेशा तुम सिर्फ मेरे बन पाए ।।
मुझे इश्क है अपनी सांसों से
जब तक सांसे चले सिर्फ़ तुम्हारा नाम आए।।
मुझे इश्क है उन नजरों से जिसमें
हमेशा सिर्फ तुम्हें बसा पाए।।
मुझे इश्क है जो बातें नजरों से की जाए
पढ़ सको तो आंखों को पढ़ना शायद लफ्जों से बयां ना की जाए।।
है अगर गुनाह किसी को इतनी सिद्दत से चाहना
तो मुझे इश्क है ये गुनाह सिर्फ तुमसे कि जाए।।
हां मुझे बेहद इश्क है तुमसे
काश तुम्हें भी ये इश्क हों और हर हसीन शाम हमारा हो जाए।।
By Srishti Shrivastava
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