By Sanad Jhariya

जब शांत बैठता है आसन मे,
पूरे जगत का वो ज्ञाता है,
संभालता सारे ब्रह्माण्ड को है,
और शंभु अवतार कहलाता है।
जब नाचता है वो तांडव मे,
भीषण प्रलय मचाता है,
आँख तीसरी खुलती है,
और रुद्र अवतार कहलाता है।
जो बांटता सबमें अमृत है,
खुद विष को पी जाता है,
हर देव पूजते है जिसको,
और महादेव कहलाता है।
जब काल पनपता है धरती पे,
कोई पार ना उससे पाता है,
फिर काल का काल वो बनता है,
और महाकाल कहलाता है।
By Sanad Jhariya
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