By Sakshi Saxena
बरसों बाद इन आँखों ने देखे कुछ ख़्वाब थे
डॉक्टर इंजीनियर से परे कलाकार बनने के मेरे जज़्बात थे
ये दिल गाना चाहता था,
सुरों पर झूमना चाहता था,
अपने जज़्बातों को लिखना चाहता था
कला की तरफ अलग सा जागा प्यार था
दिल में जीने की उम्मीद लाया वो ख़्वाब था
पर किस्मत को कुछ और मंजूर था
फ़िर भी इरादा मेरा मजबूत था
लड़ी अंत तक मैं उन ख़्वाबों को जीने के लिए
पर किस्मत से ही हारी मैं जाने किस गुनाह के लिए
बचपन तो गवाया मैंने जिम्मेदारियों के तले
अपने ख्वाब दबाए मैंने हालातों के तले
न चाहकर भी किताबों को गले लगाना पड़ा
कल को बेहतर बनाने के लिए पढ़ाई को सहारा बनाना पड़ा
कुछ इस तरह मुझे मेरी पहली मोहब्बत को भुलाना पड़ा...
By Sakshi Saxena
Wow👏🏻
Great Lines !!
Amazing
Its Amazing
SUPERBLINES 😍😍