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Kargil Vijay Gatha

By Ojeshwini Rajput



समक्ष आपके इतीहास के कुछ पृष्ठ खोलती हूँ,

 देश भारतवर्ष के हर्ष की जड़े टटोलती हुँ ,

देश भारतवर्ष के हर्ष की जड़े टटोलती हुँ ।। 


गाथा है ये, माँ भारती के लाल की,

उस वीर बेमिसाल की ; 

रक्षा मे जिसने माँ की अपनी,सर्वस्व अपना त्यागा था, रणांगण मे जिसको सिमा पार के शत्रु ने ललकारा था।।


समय था जब मशकोह, बटालिक, द्रास,तुरतुक में जिहादी घन घिर आये थे;

कायर सियार जब सिंहो की भूमि में घुस कर आए थे,

कायर सियार जब सिंहो की भूमि में घुस कर आए थे।।


कक्सर में शत्रु ने अमानवता के ऐसे तीर चलाये थे, 

जो मेजर कालिया-के-दल को छल से शीर्ण कर के आए थे;

जो मेजर कालिया-के-दल को छल से शीर्ण कर के आए थे।।



अटल थे , तब 'अटल के वे शब्द',

जो उनके मुखारविंद से निकल आए थे;

माँ भारती के वीर भी अब रण में  उतर कर आए थे।

समक्ष उनके  भीरु बैरी  बौखलाए थे, बोराए थे;

"दुर्गा माता की  जय" धवनी से वे भय से थर्राए थे,

"दुर्गा माता की  जय" धवनी से वे भय से थर्राए थे।।


भीषण वह संग्राम हुआ था ,

कण-कण रक्त से लाल हुआ था।

भीषण वह संग्राम हुआ था ,

कण-कण रक्त से लाल हुआ था।


तब वीर विजय की कामना में,

 "नीली-तलवारों" से आघात हुआ था। 

हिरी चादर ना चढ़ पाए "सफेद-सर" पर,

 यह सुनिश्चित कर प्रतिघात हुआ था ।

हिरी चादर ना चढ़ पाए "सफेद-सर" पर,

 यह सुनिश्चित कर प्रतिघात हुआ था ।।



परिणाम का तब भय नहीं था,

वे सौगंध खा कर आए थे;

"मृत्यु को भी मृत्यु की निद्रा सुला कर आए थे",

वे "मृत्यु को भी मृत्यु की निंद्रा सुला कर आए थे"।।


उस रोज़ वीरता भी अपनी पराकाष्ठा लाघे जा रहीं थी 

"ये दिल मांगे मोर" कह कर ,इतिहास रचने जा रही थी,

"ये दिल मांगे मोर" कह कर ,इतिहास रचने जा रही थी ।।


'परिमाण' क्या मैं दू, इस बलिदान के 'परिणाम' का,

'परिमाण' ,क्या मैं दू, इस बलिदान के 'परिणाम' का ।

उस प्रेम का उस स्नेह का, जो तेरे कण के खातिर लालो ने तेरे, कार्गिल मे झलकाया था ।


माँ सम्मान में वीरो ने तेरे,

कुछ ऐसा कमाल दिखलाया था;

की,प्रदर्शन अपनी विश्व पटल पर भारत,

साहस-शक्ति का कर पाया था।

की प्रदर्शन अपनी विश्व पटल पर भारत,

साहस-शक्ति का कर पाया था।।



क्षण भर में शत्रु को भारत ने तब,

यह अहसास दिलाया था, 

की लाख श्-वान  घेर ले सिंह को,

सिंह नहीं घबराया था; कभी सिंह नहीं घबराया था ।


तब कहीं जाकर कार्गिल पर ध्वज,

भारतिय फैराया था, 

ध्वज भारतिय फैराया था।। 


जय हिंद, जय भारत ।।


By Ojeshwini Rajput



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37 Comments


O Singh
O Singh
Nov 21

❣❣

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Waah🙏🏻

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🙏🏻🙏🏻

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🙏🙏

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Amazing

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