By Sachin Mujumdar
अपनी आँखों में वो हुस्न के राज़ रखती है
खुद से भी खूबसूरत अपने अंदाज़ रखती है
लोगो पर उनकी वो बाते कर जाती है ऐसा असर
गले में अपने जो वो ऐसी जादुई आवाज़ रखती है
नए ज़माने की सोच का ध्यान रखती है वो गर
साथ ही ख़ानदानी अपने वो रीती रिवाज़ रखती है
उसकी ही धुन पर नाचेंगी अब ये सारी कायनात भी
अपने हाथों में ग़ज़ब के जो वो साज़ रखती है
By Sachin Mujumdar
Kya khoob kahate ho, bada sundar likhate ho.
बेहद ख़ूबसूरत नज़्म
बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ में ज़ज़्बातो को पिरोकर बनी हुई नज़्म है...👌🏻😍
गजल पढ़ते ही समक्ष जैसे विनावादिनी देवी स्वरूपा की तस्वीर उभर आती है बहुत सुंदर वर्णन है