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Bachpan

Noted Nest

Updated: Oct 5, 2024

By Shweta Kumari



Bachpan

मां,अपना वाला बचपन दिला दो,

वो राजा रानियो के किस्से सुना दो।

नाज़ुक नाज़ुक कंधों पर मेरे मा,

अपने अधूरे सपनों का बोझ ना लादो।


मिटटी में मा खेलने दो मुझे भी,

गिर कर कैसे खुद उठना है,

सीखने दो ये  मा मुझे भी।

नंगे पांव मा मुझे भी दौड़ना है।


मॉल के नकली झूले रहने दो मा,

पेड़ों पर तुम झूले लगा दो।

जो खेल तुम बड़ी हुई मा,

मुझे भी अपने खेल सीखा दो


लोरी सुनने की उम्र है मेरी मां,

ये जी के के प्रश्न रहने दो।

आगे ज़िन्दगी कठिन बहुत है,

अभी तो थोड़ा बेफिक्र रहने दो।


नन्ही नन्ही उंगलियां थक जाती है मा,

ये कापियां कुछ कम कर दो ।

बोझ बहुत है मेरे बस्ते का मा,

थोड़ी अपेक्षाएं कम कर लो ।


इन आंखो मे सवाल बहुत है ,

पहले उन्हें सुलझाने दो। 

अभी जीवन में सीखना बहुत है,

ये कोडिंग वेडिंग अभी रहने दो।


कभी डांस तो कभी मयू जीक,

कभी कराते कभी स्विमिंग।

इन क्लासेज की भीड़ भाड़ में मा,

मेरी मासूमियत हो गई मिसिंग।


इन चार दीवारों में घुटता है मन,

बारिश में मुझे भी थोड़ा भींगने दो।

जैसे गांव की गलियों में दौड़ बड़ी हुई,

मुझे बस इस आंगन में दौड़ने दो।


मा पता है मुझसे तेरे सपने जुड़े है,

मेरे लिए तूने कई अरमान छोड़े है।

वक्त आने पर आसमान छू लूंगा मै,

मां तुझ से मुझे ऐसे संस्कार मिले है।


मां अभी ये बचपन जी लेने दे,

थोड़ी नादानियां कर लेने दे,

ये लौटकर नहीं फिर आएगा,

ये झूठ मूठ की जिद्द में मा ,

मेरा बचपन कहीं खो जाएगा।


By Shweta Kumari



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