By Arya Sinha
हर रोज़ गुज़रता जाता था
इक रोज़ वो फ़िर याद आता था
मन कहेकेआगेबढ़ जा तू
फिर वही बात दोहराता था।।
मैकहती थी की चल देबस
फिर पन्ना वही खुल जाता था
मन कहेकेआगेबढ़ जा तू
फिर वही बात दोहराता था।।
इक फदन यूूँही बैठेबैठेपन्ना पलटा खुद सेही
सोचा फगन लूूँफदन बीतेफकतनेयूूँचल चल के ही
देखा फिर फक कै सेमन को कामोोंमेलगाया था
फगरेजो आसूमन को फिर कै सेमैंनेबहलाया था
फगरेथेफकतनी दिा येआसू
मन सोच के येघबराया था
मन कहेकेआगेबढ़ जा तू
फिर वही बात दोहराता था।।
इक सिर सुहाना सोचा था
तब उम्र भी मेरी छोटी थी
छोटा एक खखलौना टू टा
झर झर के मैंरो देती थी
फिर मोड़ फलया जो जीवन ने
एक अलग ही राह बस चुन ली थी
लगता हैफक फकस्मत नेकु छ बातेंमेरी सुन ली थी
फिर भी मैंनेदू र सेअपनी मोंफज़ल को ही देखा था
येराह लेकर भी फमलेगी मोंफज़ल
येसपना मैंनेदेखा था
क्या होगा पर आगेअब
येसोच के मन घबराता था
मन कहेफक आगेबढ़ जा तू
फिर वही बात दोहराता था।।
धीरेधीरेमन को मैंनेउसी वक़्त मेढाल फलया
धीरेधीरेइक इक कर के लहरोोंको भी पार फकया
धीरेधीरेआसूको फिर हसी मेमैंनेबदला था
चेहरेपर फकतनेचेहरेलगाकर मैंनेरक्खा था
ना समझा कोई ना जाना कोई
और अगर फकसी नेसमझा था
मलहम लगाकर पहलेफिर तो ज़हर उगल कर छोड़ा था शहर नमक का
गलती सेहम घाव फदखा जो बैठेथे
मलहम पानेकी आस मे
फमचचलगा कर बैठेथे
आसूफिर तो फगरेनही
हम पीछेफिर तो मुड़ेनही
पर कदम बढानेसेपहले
मन फिर सेडर सा जाता था
मन कहेकेआगेबढ़ जा तू
फिर वही बात दोहराता था।।
बीतेफिर जो फदन फदन करके
बीतेफिर जो सालोोंथे
मन पत्थर जो होता गया
लड़ लड़ कर यूूँही हजारोोंसे
पर मोंफज़ल को पानेकी चाह ने
मुझको बचा कर रक्खा था
डू बी टू टी लड़ी कहीोंपर प्राण बचा कर रक्खा था याद आती जो बातेंफिर तोड़ के मुझको जाती थी वापस फदल पर पत्थर पड़ता
टू ट सी फिर मैंजाती थी
जो भी सुनता एक ही बात सुना कर मुझको जाता था मन कहेकेआगेबढ़ जा तू
फिर वही बात दोहराता था।।
आज इतनेमुकाम जो भी हाूँफसल मैंनेकर रक्खे होठोोंपर होंसी लेकर जो आसूोंफदल मेंभर रक्खे क्या कभी फदल सेहस पाऊों गी मैंइन हाूँफसल मुकामो पर या फिर नकली येहूँसी रह जाएगी इन ज़मानोोंतक?
हर रोज़ गुज़रता जाता था
इक रोज़ वो फिर याद आता था
क्या लगा? येइोंसान हैकोई जो फदल को तोड़ कर जाता था? अरेना! येवो "वक़्त" हैमाफलक
जो रह रह कर याद आता था
तोड़ा फकसनेफदल नहीों
और मोड़ा फकसनेमुह नहीों
येतो दुफनयाूँका उसूल है!
पर रब चाहेमुझको रखना
तो येधोके भी कुबूल हैं!
मशहूर जो मेरेकाम हुए!
महफिलोोंमेंमेरेनाम हुए!
पर फदल पर एक ज़ख्मलगा
जो बार बार याद आता था
लोगोोंपर यकीन जो करके वहम येकै सा पाला था
दुखता था येफदल
पर उभरनेसेक्यूूँडरता था मन कहेकेआगेबढ़ जा तू फिर वही बात क्यूूँकरता था?।।
By Arya Sinha
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