By Shivani Jadhav
सब कुछ तो तू जानती थी,
मेरी जिन्दगी का आदि और अंत तू थी...
सब कुछ तो साझा किया करती थी,
जैसे जिस्म मै और आत्मा तू थी
लिखना तेरी लाडली की कला थी,
जिसे तुझसे प्रशंसा की तलाश थी...
मेरे शब्द मेरी की कला के शोभा थे,
ना की मेरी अपनी आपबीती थी...
अभद्र कुछ ना लिखा,
क्यूँकि ख्याल तेरी मुस्कराहट का था..
भरोसा कर ना सकी तू अपनी परवरिश का
मलाल सिर्फ इस बात का था
By Shivani Jadhav
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