By Sarthak Gupta

सुनी होगी बहुत सी कहानियाँ
लेकिन उस औरत की दास्तान कोई नहीं जानता
बचपन से ही अपनी मुलायम पलकों के तले कुछ सपने संजो तो लेती है
पर कुछ ही खुशनसीब होती हैं जो उन सपनों को जी लेती हैं
पापा की परी कहो या कहो मम्मी की दुलारी
चाहे कितना मज़ाक बना लो उसको हमेशा हस के सह जाती है नारी
रो कर व्यक्त करती है अपनी भावनाओं को लेकिन दिल से है मज़बूत
पौधे की तरह सींच कर रखती है हर रिश्ता जिसमें पड़ना जाएँ फूट
चाहे मर्द में हो कितना ही गुरूर
महिलाएँ हमेशा ही रहतीं हैं एक कदम आगे तोड़ कर उनका तकब्बुर
आज कदम से कदम मिला कर चल तो रही है
लेकिन फ़िर भी खुद में ही कही खो रही है
इसलिए तो चाहे वो श्री राम हो या हो श्री कृष्ण की कहानी
औरत के बिना तो अधूरी है उस प्रभु की भी ज़िंदगानी
तो फ़िर सोच के देखिए आप कौन है और आपका नाम है क्या
उस औरत के बगैर आपकी पहचान है क्या
माँ कहो बेटी कहो या कहो दोस्त
पूरे ब्रह्मांड का यहि है असली स्त्रोत यहि है असली स्त्रोत।
By Sarthak Gupta
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