By Sushma Vohra
ऐसा वैसा कोई नहीं था,
हाँ इक वीर अलबेला था,
आन बान शान बड़ा था,
वो इक अनुठा दीवाना था ।
देश की खातिर मरने को ,
धूल चटाई मुगलो को ,
मेवाड़ की रक्षा करने को ,
हार न मानी पलभर को ।
धन्य-2 है महरानी जयवंता ,
कोटि-2 प्रणाम उदय सिंह द्वितिया ,
धूल पवित्र है मेवाड़ी राज्यस्थाना ,
जहाँ सदी का वीर बहादुर जन्मा ।
हल्दी घाटी भूले न भूले ,
राणा का प्रराक्रम न छूटे ,
दुर्गम पथ पर राणा चले ,
मुगलो को वीर हराते चले ।
राणा और चेतक का नाता ,
वीरता और शौर्य में समाना ,
इक्-दूजे की जान का वादा ,
अजर-अमर है चेतक की गाथा ।
भालो और तलवारों की ढाल ,
पिता सी युद्ध कौशल पहचान,
अस्त्र-शस्त्र थे उनकी शान ,
निडर- महान योद्धा की आन ।
महाराणा प्रताप की कहानी ,
साहस और बलिदान की कहानी ,
मातृभूमि के लिए दी कुर्बानी ,
याद करेंगे अदम्य साहस भारती
By Sushma Vohra
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