By Nikhil Tandon
"स्तंभ हो आधार हो,
कुटुंब की तुम शान हो
बाधाओं से रुके न जो,
रुक कर भी थमें न जो
वो किरदार बेमिसाल हो
हर संकट में जैसे ढाल तुम,
मानों अस्त्र की तुम धार हो
टूट कर भी जो बिखरने न दे,
वो स्वप्न तुम साकार हो
कभी कठोर तुम चट्टान सी,
तो कभी कमल सी मुस्कान हो
शीतल जल सी शांत तुम,
तो कभी युद्ध की हुंकार हो
बच्चे की किलकारी सी हो,
तो कभी गजराज की चिंघाड़ हो
हिरनी जैसी चंचल कभी,
तो कभी शेर की दहाड़ हो
वेद–उपनिषद का बखान तुम,
तुम ही गीता और पुराण हो
स्तंभ हो आधार हो,
कुटुंब की तुम शान हो
बाधाओं से रुके न जो,
रुक कर भी थमें न जो
वो किरदार बेमिसाल हो
तुम हर रूप में महान हो"
By Nikhil Tandon
Ekdum zabardast
Superb
Great description 👌👌
Great projection used in these lines. Keep it up .
Yahi sach hai