By TanuShree Patwa
हाथ खाली है मेरे,
ऐ गालिब तुझे क्या लौटाउ।
तकदीर मेरी मिट चुकी हैं,
मैं तेरी गलियाँ क्या सजाऊ।
फूल जीवन के मेरे मुरझा गए हैं,
मै तेरे बाघ को जान - ए - जहाँ किस कदर सजाऊ।
अंधेरे मे बंजारा घूम रहा हु,
ऐ हमसफर तेरे मकान मे उजाला कैसे फैलाउ।
हाल मेरा भी तो तु जान ना,
तुझे खुशहाल कैसे बनाऊँ।
मेरे हक मे तो यहाँ एक पत्ता तक नही,
तुझे वो खुशियों का पेड़ कैसे दिलाउ।
आखिर तुझे तो पता है न, की हाथ खाली है मेरे,
ऐ गालिब तुझे का लौटाउ।
By TanuShree Patwa
She deserves 1st
Haayyeee💓🥺
Nice
Niceee
Beautiful