By Sarthak Gupta
अधूरा सा ख़्वाब
अधूरी सी दास्ताँ
अधूरी उसकी ज़मीन
अधूरा उसका आसमान
पल दो पल में सब अधूरा वो छोड़ गया
आज एक सुशांत अशांत हो गया।
दिल का जवान था वो
अपनों के दिल का था वो सिकंदर
सब के दिलों पर करता था राज
खुशमिज़ाज बुद्धिमान
पर खुद की नज़रों मे वो हमेशा के लिए सो गया
आज एक सुशांत अशांत हो गया।
हार मानना ना सीखा जिसने
जीवनभर प्रयास किए उसने
नाम कमाया हर चीज़ में जिसने
अपनी कला से लोगों को हसाया और कुछ सिखाया उसने
वो ही विरासत में अपनी याद छोड़ गया
आज एक सुशांत अशांत हो गया।
ख्वाहिशों का था वो बुलंद शिखर
सफ़लता चूम रही थी जिसके चरण
बहनों का प्यारा माँ का लाडला और पिता का था वो चमन
सब के दर्द और ज़रूरत का माझी, मस्ती करके खुल
कर जीने में सबका साथी
पर खुद के दर्द और दुख को सहकर पी गया
आज एक सुशांत अशांत हो गया।
दिल में भर रहा था वो बेचैनी की आहें
डूब गया दर्द के समंदर में जिसे कोई ना जानें
ख़ामोशी के अंधेरे में वो दूर तक खो गया
आज एक सुशांत अशांत हो गया।
सबको ज़िंदगी का महत्व समझाया
हार ना मानने और मेहनत करने का जज़्बा सब में जगाया
जिसने सबके आँसू पोछें वही अपना दिया भुजाकर सबकी आँखों में आँसू छोड़ गया
आज एक सुशांत अशांत हो गया।
चेहरे पर मुस्कान थी पर दिल में दुःखों के बादल थे छाए
मौत रस्सी लेकर खड़ी रो रही थी फैलाकर बाहें
ज़मीन से आसमान में चढ़ने वाला सितारा ज़िंदगी से राबता तोड़ गया
आज एक सुशांत अशांत हो गया, आज एक सुशांत अशांत हो गया।
By Sarthak Gupta
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