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सुनती भी हो ?

Updated: Jul 24

By Ruta Joshi


सुनती भी हो ?

देखो बड़ी तेज चल रही हो आजकल,

तुम्हारी रफ़्तार किसके पैर कमजोर कर रही ,

फिर ठोकर बिछाने पर मजबूर कर रही !

संभल जाओ ,कुछ ज्यादा हस रही हो ,

तुम्हारी ख़ुशी को पागलपन समझेंगे यहाँ,

जज़्बात अगर मज़ाक़ बने फिर रोना ना ज़रा !

ये कोट तुम्हारी कामयाबी जता रहा खुलके  ,

पर याद हैं ना , सावला रंग तुम्हारा ख़ास जचता नहीं उसपे !

कहा था ना तुमसे , आदत मत लगाओ  घूमने की  हर शहर,

पायल तुम्हारी वहीं कह रही कबसे, अटकना हैं  ,तुम्हें अपने ही घर !

देश के हालचाल में तुम्हारा क्या ही कहना सुनना ,

कल सेल लगेगी किसी दुकान में ,तब इतना हिसाब करना!

हर शाम इतनी देर से  अब घर आ रही हो ,

राह देखता अपने बेटे से कहा लगाव बना रही हो ! 

रात भर जाग कर क्या पढ़ती रहती हो  बेकार , 

पता हैं ना ,कल सुबह तुम ही तो चाय बनाओगी सब के लिये यार !

सुनो, पर अपना दर्द किसी को जताना मत कभी ; 

‘वो’ दिनों की नौटंकी मान लेंगे सभी !

अपनी आवाज़ ना ,अपने वजन जैसी  कम ही रखना ;

किसी की हुर्मत काप उठी तो शिकवा लेकर आना ना यहाँ !

पर ऐसे मत सोचो की तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं यहाँ!

सजो-सवारो, अपना रूप निखारो, देखो शायद इज्जत देंगे वहाँ !,

आख़िरी बार कह रहे , हुनर  और ख़ुद्दारी नहीं , हमेशा  शर्म रखो सरपर !

लड़की हो, वैसे भी आसान हैं ज़िंदगी तुम्हारी , ज़िम्मेदारिया जो नहीं  तुम पर!

पीछे रहकर हमेशा ये सुनना  ,  प्यार  अगर है पाना

क्या ख़ाक हासिल होगा दुनिया जीतना ,

अपनों से ही तुम्हें आख़िर हैं हारना!


By Ruta Joshi

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