By Ruta Joshi
देखो बड़ी तेज चल रही हो आजकल,
तुम्हारी रफ़्तार किसके पैर कमजोर कर रही ,
फिर ठोकर बिछाने पर मजबूर कर रही !
संभल जाओ ,कुछ ज्यादा हस रही हो ,
तुम्हारी ख़ुशी को पागलपन समझेंगे यहाँ,
जज़्बात अगर मज़ाक़ बने फिर रोना ना ज़रा !
ये कोट तुम्हारी कामयाबी जता रहा खुलके ,
पर याद हैं ना , सावला रंग तुम्हारा ख़ास जचता नहीं उसपे !
कहा था ना तुमसे , आदत मत लगाओ घूमने की हर शहर,
पायल तुम्हारी वहीं कह रही कबसे, अटकना हैं ,तुम्हें अपने ही घर !
देश के हालचाल में तुम्हारा क्या ही कहना सुनना ,
कल सेल लगेगी किसी दुकान में ,तब इतना हिसाब करना!
हर शाम इतनी देर से अब घर आ रही हो ,
राह देखता अपने बेटे से कहा लगाव बना रही हो !
रात भर जाग कर क्या पढ़ती रहती हो बेकार ,
पता हैं ना ,कल सुबह तुम ही तो चाय बनाओगी सब के लिये यार !
सुनो, पर अपना दर्द किसी को जताना मत कभी ;
‘वो’ दिनों की नौटंकी मान लेंगे सभी !
अपनी आवाज़ ना ,अपने वजन जैसी कम ही रखना ;
किसी की हुर्मत काप उठी तो शिकवा लेकर आना ना यहाँ !
पर ऐसे मत सोचो की तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं यहाँ!
सजो-सवारो, अपना रूप निखारो, देखो शायद इज्जत देंगे वहाँ !,
आख़िरी बार कह रहे , हुनर और ख़ुद्दारी नहीं , हमेशा शर्म रखो सरपर !
लड़की हो, वैसे भी आसान हैं ज़िंदगी तुम्हारी , ज़िम्मेदारिया जो नहीं तुम पर!
पीछे रहकर हमेशा ये सुनना , प्यार अगर है पाना
क्या ख़ाक हासिल होगा दुनिया जीतना ,
अपनों से ही तुम्हें आख़िर हैं हारना!
By Ruta Joshi
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