By Vikram Singh Parihar
वक्त की बिसात नहीं हालात की नज़ाकत होती है
वजह कभी एक होती नही बस बरसात की देरी होती है
वहम होता है खुद को अक्सर आईने में वजूद की की फिराक होती है
वक्त भी करवट लेता है मगर फितरत की नज़ाकत अमल होती है
सब्र की मियाद कभी होती नहीं बस वजह होती हैं
सजदों की एहमियत होती नहीं बस एहसास होता है
सफर की मंजिल होती नही बस एक सफरनामा होता है
संभालने की आदत होती नही बस यादों का गुलदस्ता होता है
माना मुस्कुराहट खुशी की दस्तक है मगर हमेशा जरूरी नहीं
माना एहमियत वक्त की नज़ाकत है मगर हमेशा जरूरी नहीं
माना सुकून जिंदगी की जरूरत है मगर हमेशा जरूरी नहीं
माना वफ़ा मोहब्बत की इबादत है मगर हमेशा जरूरी नहीं
दरिया हो या फिर समुंदर पानी किसी का मोहताज़ नही है
दर्द हो या फिर खुशी किसी एक मंजर के मोहताज नहीं है
दस्तानों की कहानी किसी हाथों की जुबानी बनती नहीं है
दोस्तों जिंदगी की कहानी भी गैरों के हाथों बनती नहीं है।
By Vikram Singh Parihar
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