top of page
Noted Nest

सलीका

Updated: Apr 19

By Dr. Devendra K Prajapati


सलीका

कितना मनोहर सलीका चाहिए, परदे में पर्दा नज़र आने के लिए।

तुझे जहाँ को दिखाने के लिए, तुझे जहाँ से छुपाने के लिए।


एक बेचारे चेहरे पर इतनी सारी बंदिशें।

हँसना नज़र भी आना है, हँसते हुए नजर आने के लिए।


दौर ए महफिल से ये उम्मीद ना थी यकीनन।

याद भी ना आएगी, इक चले जाने के बाद।


क्या खबर वक्त के चेहरों का बदले कब अपना मिजाज़।

फिर इतना आसान भी तो ना रहेगा, मेरे लिए।

बेवक्त यूं घर लौट आने के लिए।


तेरी बात के एहसास का भरम कोई संयोग तो नहीं।

शायद, यूं मुकम्मल तो होगा, तेरा होना भी, कहलाने के लिए।


जहाँ में डूबा ये किरदार उभरे अगर खुद के जहां में।

भूल जायेगा हरेक पहचान, इसके लिए उसके लिए।


तेरे एक महकमे के शोरगुल से क्या होगा।

बात तो ये है कि तेरी आवाज से कोई पहचान बदले।


By Dr. Devendra K Prajapati


170 views36 comments

Recent Posts

See All

Untitled

By Sri Ramya Smruthi He always told me I was extraordinary That i was beautiful beyond limits That everybody would praise me and worship...

Silo

By Sri Ramya Smruthi Poetess’ note:- I am unsure of what a silo truly is, i have only seen them when i wander, or when i get lost in...

Flowers

By Sri Ramya Smruthi Let’s hold a banquet for flowers We’ll have a ball A grand gala for them all Roses, peonies, lilies, soft, white...

36件のコメント


Very good

いいね!

Very Good

いいね!

,👌👌

いいね!

Very wonderful.


いいね!

Harsh AHIRWAR
Harsh AHIRWAR
5月04日

Veri nice 🙂

いいね!
bottom of page