By Kavita Batra
तू अपना सब्र रखा कर,
ज़्यादा नहीं, कम रखा कर ।
तू अपने पैरों की रफ्तार, ठोड़ी कम रखा कर ,
अपनी मंज़िल से ज़्यादा अपने हौंसले बुलन्द रखा कर ।
तू अपने सफर को भी खुशनुमा बनाया कर ,
जो तुझे नीचे गिराते हैं, उनसे भी सलाम रखा कर।
यकीन रख , आज नहीं तो कल तेरा भी दिन आएगा,
जो आज नज़रें चुराते हैं, उनके तू चहरे याद रखा कर ।
By Kavita Batra
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