By Pankaj Pahwa
कहने को तो यूं हुए बस तीन साल है,
कहने को तो यूं हुए बस तीन साल है,
पर देखू जो पीछे मुड़कर तो हजारों ख्याल है,
हैं यादें कुछ खट्टी कुछ मीठी,
पर कुछ ऐसा नहीं की जिसका मलाल है, वर्ना
कहने को तो यूं हुए बस तीन साल है…
कहने लगूं जो साल क्या पहला हमारा था,
बदला था स्टेटस मेरा जो मैं से था हम हुआ,
आई तमीज-ए-तब्दीली लहजे में मेरे थी,
तुम हो गई थी आप, ये पहला इशारा था,
यूं तो बताने को अभी काफी ख्याल है, वर्ना,
कहने को तो यूं हुए बस तीन साल है…
फिर साल दुसरे में जो खुशियां हमे मिली,
घर की हमारी बगिया में नन्ही कली खिली,
हम भुल के सब दुनिया को बस उसमें खो गए,
एहसास था ये उसका कि हम Parent हो गए,
अल्फाज हैं ये मेरे, दिल के ख्याल हैं, वर्ना
कहने को तो यूं हुए बस तीन साल है...
है जिक्र-ए-बयां साल तीसरे का इस कदर,
हैं नन्हे नन्हे पांव मेरे घर की हर डगर,
अब कानों में जो गूंजता मीठा सा शोर है,
बेटी की है किलकारियां जो चारो ओर है,
ये सब है मेरे पास मेरे रंगों गुलाल है, वर्ना
कहने को तो यूं हुए बस तीन साल है...
By Pankaj Pahwa
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