By Soumya Singh
शब्द की क्रीड़ा
शब्द है सृजन, शब्द है आधार,
शब्द से चलता है जीवन का संसार।
शब्द हैं वाणी के गूढ़ रत्न,
हर ध्वनि में छिपा है शब्दों का जतन।
शब्द कभी दीपक, कभी तमस का रंग,
शब्द कभी सांत्वना, कभी चुभता अंग।
शब्दों से जुड़ते बिखरे मन के तार,
शब्दों से टूटते रिश्तों के संभार।
शब्द हैं सरिता, जो बहती अनवरत,
शब्दों से सजी है यह सृष्टि अचरज।
कभी ओजस्वी, कभी कोमल छांव,
शब्दों से ही खिलता है हर भाव।
शब्द हैं प्रकाश, शब्द हैं तम,
शब्द से बनता है मनुज का धर्म।
कभी यह प्रेरणा, कभी मूक प्रहार,
शब्दों से होता जीवन का संभार।
शब्दों का अनोखा खेल
शब्दों ने गढ़े इतिहास के पृष्ठ,
शब्दों से लिखी गई समय की दृष्टि।
शब्दों से जुड़े अनगिनत हृदय,
शब्दों में बसते हैं सत्य के नय।
शब्द हैं संजीवनी, शब्द हैं ब्रह्म,
शब्द ही हैं अनंत काल का क्रम।
शब्दों से गूंजता है यह आकाश,
हर कण में है शब्दों का निवास।
तो संजोओ शब्द, यह अमूल्य निधि,
शब्दों से सजेगी हर मन की सिधि।
जहां सोच हो निर्मल, वाणी हो शुद्ध,
शब्द बनेंगे वहां परमतत्व के बंध।
कभी व्यर्थ न जाने दो इनका प्रभाव,
शब्द ही जीवन के हर प्रश्न का जवाब।
शब्दों में छिपा है ईश्वर का भाव,
हर शब्द से जुड़े हैं सृष्टि के प्रवाह।
By Soumya Singh
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