By Pooja Kumari
कुछ मर रहा है, मेरे देश के भीतर
शायद, लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।
मौत का तमाशा सब मौन साधे देख रहे है ।
किसी के भी आंख से ये मौत का मंजर देख
आंसू नही छलक रहे ।
क्या इसलिए आंसू नही की यह पता है,
लोकतंत्र का मौत होना निश्चित है,
या तुम आदि हो, ऐसे मौतों के
या फिर डर से सुख गए है,
तुम्हारे आंसू और कंठ से कोई नहीं फूट रही।
By Pooja Kumari
🔥Fire
Beautiful poetry ❤️