By Pankaj Kumar
आज सफर में छोटे बच्चो को देख मुझे मेरा बचपन याद आ गया..
उनका उछलना खेलना लड़ना झगड़ना बीते हुए कल की एक झलक दिखला गया..!!
हम भी तो ऐसे ही शरारते किया करते सफर हो या कही भी खूब मस्तियां किया करते थे..
हम भी तो अपनी नदनियो में ही गुमनाम थे फिर सफर में सारे यात्री चाहे हमसे परेशान थे ..!!
आज हम भी दुनिया की इन उलझनों में खो से गए है अपने अंदर के बचपने अब मानो सो से गए है..।।
किसे पता था कि बच्चपन का जमाना इतनी जल्दी बीत सा जाता है..!!
फिर सारी समझदारियो का बोझ अपने कंधो में आ जाता है ..!
ये तो थी हमारे नागपुर से छिंदवाड़ा तक के सफर के कुछ पलों के एहसासों की बात पर,
#मुसाफ़िर जिन्दगी के सफर में भी ख्वाबों को फिर से सजाना चाहिए..!!
अगर असल में ज़िंदगी के मजे लेना है तो अपने बचपने को थोड़ा ही सही मगर जगाना चाहिए..!!
By Pankaj Kumar
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