By Kavita Batra
मौसम भी आज करवट बदल रहा है,
बादल बहुत दिनों से थे ,
मगर अब, जम के बरस रहा है ।
रविवार ना जाने क्यों तुझसा मिलता- जुलता लग रहा है,
आता तो है , सबके हिस्से में हक से मगर ,
मुझे ना जाने क्यों एक हक -ए- मुलाकात के लिए तरसा रहा है ।
देखो ना आज मौसम करवट बदल रहा है ,
रविवार के दिन , जम के तेरी यादों के साथ बरस रहा है।
By Kavita Batra
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