By Jaya Bhardwaj
मैं तेरे तम भरे हृदय से अन्धकार हर लेती हूँ।
मैं तेरे मन के भावों से हर पीड़ा पढ़ लेती हूँ।
मैं तेरे सब कर्म बंध सब पाप नष्ट कर देती हूं।
मैं तो तेरे जीवन पथ से हर संकट हर लेती हूँ।
मैं तेरे इस अहंकार को क्षण भंगुर कर देती हूं।
मैं तो तेरे मोक्ष द्वार का पथ रोशन कर देती हूँ।
सत्य असत्य, धर्म अधर्म, राग अनुराग और रिश्तों का
इन सबकी शिक्षा एक ग्रंथ में देती हूं।
मैं गीता हूं।
जीवन को जीवन-क्षण में जीवन की तरह जीने का
बड़ा सलीक़ा देती हूं।
मैं गीता हूं।।
By Jaya Bhardwaj
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