By Sushma Vohra
मैं भाव हूं, अर्थ हूं, जोश हूं,
मैं कविता हूं, ख़ामोश कारवां हूं।
कुम्हार की रचना, चित्रकार की कला ,
बुनकर की सरंचना, शिल्पकार की मूर्ति हूं।
नव रूप, नव रंग, नव उमंग, नव चेतना,
किसी युवा के मन की ज्वरित चेतना।
प्रेम में, वफ़ा में, ख्याल में ,खुशी में ,
गम में जो अश्रुओं का साथ दे।
इतिहास में छूटी छाप, नृपों की कहानी हूं,
कल, आज और कल की मैं सहेली हूं।
रस, रंग, अलंकार सब साथी मेरे ,
पत्थर, पहाड़, फूल, चिड़िया संग मेरे ।ं
प्रेम-गीत, शोक गीत, विदाई गीत, मिलन गीत,
सदियों से इच्छाओं का रखे मान ये गीत।
ऋतुओं का, पर्वो का सम्मान हूँ मैं.
दुल्हन का श्रृंगार, प्रकृति का सौंदर्य हूँ मैं' ।
वीरों का, शहीदों का पराक्रम हूँ मैं ,
देश पर फौजी की कुर्वानी का दम हूँ मैं ।
मैं कविता हूँ, कवि के हृदय की संवेदना,
देश की संस्कृति गौरव का दिखाती आईना ।
चंद शब्दों में ,बन जाए जो दास्तां,
हार को जीत में बदलने का मिल जाए रास्ता ।
By Sushma Vohra
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