By Jaya Bhardwaj
खुद से कभी बिछड़ना मत, और भाई हो तो लड़ना मत।
छोटा हो वह पिता बनो तब, बड़ा हो तुमसे तो बेटा
कलह अगर संपत्ति में हो, तो तुम राम कहा जाना
कलह अगर संबंधों की हो, तो तुम श्याम बने जाना
मत बनना तुम शिशुपाल, सौंवी गलती की प्रतीक्षा में
निन्यानबे अवसर हैं मेरे, इस अहंकार में ढ़लना मत।
खुद से कभी बिछड़ना मत, और भाई हो तो लड़ना मत।
ज्यों सेवा का अवसर पाके, ज़्यादा ज़रा उछलना मत
बहन के मोह में अंधे होके, अपनी बाज़ी चलना मत
सुन लो एक पते की बात, शुद्ध सरल कहती हूं अब मैं
भाई-भाई के झगड़ों में, ज्यों समाज ये आयेगा
सुलह ना होगी सुन लो तुम, इतिहास रचा ही जायेगा।
और वो इतिहास मेरे प्यारे,महाभारत ही कहलायेगा।
By Jaya Bhardwaj
Waoo nice
Amazing
Well written🙌🙌
Well done dear 😘 😘
🙏🙏👏