By Prachi Karandikar
उम्रभर की ख़्वाहिशोंको
मंज़िले हासिल हुई
सच कहूँ तो आज मेरी
जिंदगी पूरी हुई
प्यारासा आँगन मिला
दोस्तोंका संग मिला
उल्झनोंसे बेख़बर
मासूमसा बचपन मिला
ज़माना ढूंढता जिसे
वो चैन और सुकून मिला
दिलो जा लुटाऊं ऐसा
क्या कहूँ हमदम मिला
सोचकर ये सारी बातें
आंखें आज नम हुई
सच कहूँ तो आज मेरी
जिंदगी पूरी हुई
अलविदा मेरे दोस्तों
करूँगा अब सफ़र नई
दुआ से आपकी सदा
सजी रहे महफ़िल मेरी
अब न कोई चाहतें
दिल में मेरे बाकी रही
सच कहूँ तो आज मेरी
जिंदगी पूरी हुई
By Prachi Karandikar
Beautiful thought about the life journey! Gratifying!
Vah kya bat Hai! Bahut khub!
Nice poetry!
Beautiful poem with deep meaning
Thank you for this creation Prachi Karandikar