By Amarjeet Kumar
मै मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ |
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ ।
भारत माँ दुखी हैं क्योकि उन्हें शर्मसार होना पड़ा है ।
अपने ही बेटों के कर्तुतो पर रोना पड़ा हैं।
मै मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ ।
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ ।
भारत माँ दुखी हैं क्योकि उनका रखवाला सोया पड़ा है
अपने ही बेटों को बेघर होते देखना पड़ा हैं ।
मै मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ ।
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ ।
भारत माँ परेशान है क्योकि उन्हें हैरान होना पड़ा है ।
अपने ही बेटों में हिंसा बढ़ते देखना पड़ा हैं ।
मै मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ ।
भारत माँ दुखी हैं क्योकि कुछ बेटों के पेट खाली पड़ा है।
अपने ही आँगन में महंगाई बढ़ते देखना पड़ा हैं ।
मै मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ ।
भारत माँ दुखी हैं क्योकि चौथा स्तंभ बिक पड़ा है ।
अपने ही स्तंभ ने ठीक से काम करना छोड़ दिया हैं ।
मै मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ ।
भारत माँ दुखी हैं क्योकि उनका खेती-बारी सुना पड़ा है ।
अपने ही बेटों के साथ बेईमानी देखना पड़ा हैं ।
मै मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ ।
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ ।
भारत माँ दुखी हैं क्योकि उनका रक्षक कमज़ोर पड़ा है ।
अपने ही बेटों के साथ धोखा देखना पङा हैं।
मैं मन में रस लियें बैठे माँ बोलना चाहता हूँ |
आपके दुख की पुड़िया खोलना चाहता हूँ।
By Amarjeet Kumar
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