By Mudit Shukla
दूर रहकर भी वो मेरी धड़कनें कुछ इस कदर बढ़ाता है,
उसे चाह कर भी ना भूल पाऊं की वो इतना याद आता है।
वो मेरे दिल को ना जाने क्यों इतना भाता है,
की आकर मेरे ख्वाबों मे मेरी नींद उड़ा जाता है।
अपने लिखे हुए शेर जों शायर महफिलों में सुनाता है,
मेरे ख्यालों में आकर वो मेरे ही लिखे नगमे गाता है।
तेरे इश्क़ में जो मशरूफ होकर गजले बनाता है,
जानी वो ' मुदित ' ही है जो तेरा आशिक कहलाता है।
By Mudit Shukla
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