By Sushma Vohra
निशा की खामोशियां ,
चंदा की चांदनी ,
देती निमंत्रण भोर को ,
आओ, विखेरो जादू अपना,
और भोर की लालिमा,
कोयल की कुहु कुहु ,
मन को करती वावरा ,
सुन सजन, चल उस तरफ,
झरने का झर झर शोर जहाँ,
पछी छेड़े सुर-ताल जहाँ ,
तु मैं , मैं तु , हम तुम,
लिए हाथों में हाथ चले ,
नदियों की कल-कल,
जैसे दिल की धक-धक,
पीपल छैया, स्वपन सलोने ,
देखे हम तुम आँखे मूंदे,
मयूर मयूरी झम झम नाचे,
वर्षा ऋतु की दिलकश बुहारे,
इक जान इक रंग में रंगे ,
ज्यू बादल बरसात ,
नव-सृजन है, नव पल्लव है ,
नव है प्रीत तेरी मेरी,
मैं तुझमें गुम ,तूंं मुझमें गुम,
ये धरा बिछौना अपना है,
सुगंध फैलाए सुमन प्यारे,
पग-पग तेरी खुशबु है,
पंछी जो कलरव करते है,
मन को उन्मत करते हैं,
आओ सीखे प्रेम इनसे हम ,
रूह से रूह को मिलने दे,
दिलो से दिल की बाते हो,
नैनो से नैना सुनले बाते ,
कोई बंधन न हो ,
न मेरा तुझ पर,
न तेरा मुझ पर ,
बस मैं तूं हम हो,
मिल कर बसाएं एक घरौंदा
छोटी सी तलैया हो.
पास में इक् चबुतरा हो ,
तुं में बैठे बतियाएं ,
प्रेम से रंग दे जीवन को,
सुन सजन, आ बैठ यहाँ ,
निहारे खूबसूरत वादी,
गुम हो जाए इस में आज ।
By Sushma Vohra
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