By Shweta Kumari
![प्यार निभा पाओगे क्या](https://static.wixstatic.com/media/82dbdf_8827445d0af74db49b9df5cd20d0ee57~mv2.jpg/v1/fill/w_980,h_653,al_c,q_85,usm_0.66_1.00_0.01,enc_auto/82dbdf_8827445d0af74db49b9df5cd20d0ee57~mv2.jpg)
कहते हो बेइंतेहा प्यार करते हो मुझसे
तो ज़माने से लड़कर साथ निभा पाओगे क्या?
जो छोटी छोटी बातो पर रूठूं जाऊं तुमसे
तो हर बार मुस्कुरा का मना पाओगे क्या?
जो कभी दर्द से हारकर रो दू अगर
तो मुझे प्यार से चुप कराओगे क्या?
कहते हों बेइंतेहा प्यार करते हो मुझसे
ज़िन्दगी से हारकर जो टूट जाऊं कभी
तो हिम्मत बनकर साथ खड़े रह पाओगे क्या?
जो पथरीले रास्तों पर लड़खड़ाऊं कभी
तो हाथ बढ़ाकर उठा पाओगे क्या?
जो अरमानों के पंख लगा उड़ना चाहूं अगर
तो बंद हर दरवाज़ा खोल पाओगे क्या?
जो ज़िन्दगी की दौड़ में बहुत आगे निकल जाऊं
तो मुझ तक आने की कोशिश कर पाओगे क्या?
जो कभी ज़िन्दगी से निराश हो दुखी हो जाऊं अगर,
तो अपने हिस्से की खुशी मुझ पर लूटा पाओगे क्या?
जो कभी हमारे स्वाभिमान टकरा जाए अगर,
तो मेरे साथ तुम भी थोड़ा झुक पाओगे क्या?
जो कभी बेवजह कोई ज़िद कर बैठूं अगर ,
तो वो बेकार से ज़िद भी पूरी कर पाओगे क्या?
कहते हो बेइंतेहा प्यार करते हो मुझसे
तो वो आदते मेरी जो तुम्हे ना पसंद है
जो ना छोड़ पाऊ अगर तो भी,,,
हमेशा प्यार निभा पाओगे क्या?
By Shweta Kumari
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