By Shrey Ashish Dongre
मैं आगे ना पीछे तुम्हारे साथ चलना चाहता हूं
लो थांबो हाथ मेरा फिर बेहिसाब चलना चाहता हूं
इन काली रातों में तुम्हारे साथ उजाला भरना चाहता हूं
तुम चमको जुगनू बनके मै तुम्हारी रात बनना चाहता हूं
ये आंखों में ठंडक दिलो में सुकून क्यों है
ये दिनों में रंगत रातों में सुख चैन क्यों है
पहले आता नहीं था इस दिल को पसंद कोई
फिर तुम्हे देखा तो लगा ये इतना खूबसूरत क्यों है
मेरी रेगिस्तान सी जिंदगी में तुम काले बादल बनकर आए हो
मेरे ग़म के समुद्र में तुम प्यार की नाव लाए हो
पहले था नहीं एक फूल मेरे गलियारे में
तुम खिलखिलाते फूलों का बागान बनकर आई हो
By Shrey Ashish Dongre
Comments