By Adarsh Singh
न मैं उम्र देखूंगा
न मैं धर्म देखूंगा
उनको दंड देने को मैं
सिर्फ़ कर्म देखूंगा
ना मुझे स्वर्ण चाहिए
ना मुझे स्वर्ग चाहिए
सिर्फ़ पापियों का सर
धड़ से अलग चहिए
ना मैं नींद लूंगा
ना मैं धैर्य लूंगा
सिर्फ़ उन हैवानों की लहू
की नदियाँ बहती लूंगा
उनको मौत भी दो
लेकिन सांसे चलने दो
वो मरने को भी तड़पेंगे
उनकी रूह कंपा दो
By Adarsh Singh
Stunning
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