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नारी का अस्तित्व

By Punam Agarwal



नारी तेरा अस्तित्व क्या, क्या तेरी पहचान है ?

हर मोड़ पर अलग रूप , अलग ही तेरा नाम है

कोई बेटी कह पुकारे , कोई मां कह चरण पखारे

कोई बहन कह प्यार जताएं , कोई पत्नी कह तेरा साथ चाहे

पर क्या इन रिश्तों में सदा, मिलता तुझे वह मान है ।

जिसकी है हकदार तू , कायम तेरा स्वाभिमान है

नारी तेरा अस्तित्व क्या, क्या तेरी पहचान है ?


पैरो में बेड़ियां न डाल, दे उड़ने का हौसला

ऐसे बाबुल के घर बेटियां वरदान है

हर कोई बेटी को क्या,  दे पाता ये इत्मीनान है ?

जिसके सहारे निडर हो वह, झेल जाए हर तूफान है ।


बहन को कैद ना कर ,उसकी ढाल बन साथ चले

ऐसे भाईयो के घर, बहन अभिमान है

हर बहन का भाई क्या ,दे पाता उसे ये एहसास है ?

उसके सपनो के सफर में, डिगे न उसका विश्वास है ।


पत्नी को पैर की धूल न समझ , दे बराबर का मान

ऐसे पतियों के घर पत्नी, जीवनप्राण है

हर पति क्या पत्नी को ,दे पाता वो प्यार है ?

जो बन पाए उसके , जीवन का आधार है ।


मां को बोझ नहीं, जीवन का अमृत समझे

ऐसे बच्चो के घर, मां देव समान है

हर बच्चे क्या मां को दे पाते वो सम्मान है ?

आशीर्वाद बन जो बरसे, लाए चेहरे पे मुस्कान है ।


अगर हर रूप में मिल जाए , तुझे तेरी सही पहचान है

तेरे अस्तित्व पर उठे प्रश्नों को, मिल जायेगा विराम है ।

नारी तू है जननी , तू संगिनी, तेरे बिन अधूरा ये जहां है

फिर भी जग तुझको नकारे, करता तेरा अपमान है ।


नारी तेरा अस्तित्व क्या, क्या तेरी पहचान है ?


By Punam Agarwal



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