By Pushpa Karn
नारी हूं मैंआज की,
ना मैंअबला ना मैंनादान हूं
कि सी परि चय की मोहताज नहींम,ैं
स्वयंअपनी पहचान हूं
सजृ न का आधार हूं म,ैं
जननी हूं, बच्चों की पालनहार हूं,
नहींकमीं हैहौसलों की,
अपनी मश्किुश्कि लों रुपी नयै ा की
स्वयंमैंही पतवार हूं
मि ट्टी की प्रति मा की करतेभक्ति ,
कहतेहैंयेरूप हैशक्ति
पर बेटि यों को कहतेहैंपनौती,
इस समाज का कैसा येवि चार है
येबेटि यांभी तो
हमारी अपनी ही सतं ान है,
इनको अपना अधि कार मि ले,
मि लेअपनेहि स्सेकी आजादी
मि लेपखं इनको अपनेअरमानों के
मि लेइनको अपनी जमीन,
इन्हेंभी अपना आसमान मि ले
मैंभी हूं बेटी कि सी की ,
मैंभी अपनेमाता-पि ता की अरमान हूं।
नारी हूं मैंआज की
ना मैंअबला, ना मैंनादान हूं।
By Pushpa Karn
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