By Shalini Sharma
डायबिटीज़ नहीं है फिर भी फीकी चाय पीते हैं हम
कुछ इस तरह डर-डर कर जीते हैं हम।
मंजिल है पास
पर ढल रहा है आत्मविश्वास
बढ़ते हैं रूक-रूक के कदम।
जन्म होने पर न बधाइयां बजती हैं,
न मरने पर चीखें सुनाई पड़ती है,
न जाने कौन-से
अजीब, बेजान,नीरस
शहर में
बस गए हैं हम।
By Shalini Sharma
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