By Vandana Pathak
देखी चार दीवार, वो छत हर जगह,
देखा वो बिस्तर, वो अपना सा कोना हर जगह ।
देखी शाख़ों से छन के आती धूप,
और दरख़्तों की छाया हर जगह ।
वो फूलों से महकता आँगन देखा,
वो भीनी भीनी मिट्टी की ख़ुशबू हर जगह।
जहां सासें चली, कदम रूके,
हर उस मुक़ाम को घर बना लिया ।
थोड़ा थोड़ा दिल हर मुक़ाम पर दिया,
थोड़ा थोड़ा घर बना लिया ।
By Vandana Pathak
Beautiful!
Khoobsurat abhivayakti bhavnao ki shabdo k madhayam se.........ye chote chote ehsas hi char deewaro ko ghar banane ka kaam kerte hai.....shabdo ki adbhut prastuti.
बहुत ही सुन्दर शब्दों में जीवंतता का वर्णन किया गया है। एक घर सिर्फ ईट और मिट्टी से नहीं बल्की भावनाओं और एहसासो से बनता हैं, यह सचमुच अद्भुत है कि जहां हमारा दिल हो हर जगह हमें अपना घर लगता है।