By Simran Peshwani
खेल है बाकी अभी मैं अभी हारी नहीं,
मांझा कच्चा था पतंग कटी है,
मेरी पर हिम्मत में हारी नहीं
मैं फिर से नई पतंग उड़ाऊंगी,
मैं आसमां में फिर उड़ने की कोशिश करूंगी,
क्यों बहाने से ओह रब्बा तू सताता है ,
मुझे बोल देना, सीधे सीधे ही मैं तुझे प्यारी नहीं,
खेल है बाकी अभी मैं अभी हारी नहीं!!
By Simran Peshwani
Comments