By Astitva Tripathi
क्या मतलब रखती हैं दुनिया
अगर अंधकार ही छाया हो
वास्तव में जब ना कुछ असली
तो ऐसा दुख समाया क्यों
आखिर मौत जब आनी ही है
जीवन का मतलब परेशानी ही है
अगर कहलाए है ये मृत्यु लोक ही
तो क्यूँ मिली भला ज़िंदगानी ही है
क्या सोचा था होगा क्या
अब होने को बाकी भी क्या हैं
सोचा था बस सोच में खो गया
अब खोने को बाकी भी क्या हैं
काश मैं थोड़ा अधिक काबिल होता
तो सोचा जो वो हासिल होता
खुदसे ही निराश, होके मैं हताश
आँखो में आसुओ कि ले आये बरसात
कुछ कहु तो अब कहु भी किसे
कैसे तोड़ दू अब घरवालों के दिलासे
दिन हर दिन पसर रहा क्यों
जैसे नज़रो के सामने सब गुज़र रहा हो
By Astitva Tripathi
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