By Gautam Anand
काम से लौटते हुए जेब खाली हो तो विलासिता लगती है कविता डर जाता हूँ अक्सर मैं अपनी जेब टटोलते हुए सहम जाता हूँ जब सिक्कों की अनुपस्थिति में जेब में जहर की पुड़िया होने का भ्रम होता है और मन शरीर से बाहर कूदकर आत्महत्या करने को आतुर होता है खाली जेबें वास्तविकता का एहसास कराती हैं कविता मुझे इस वास्तविकता से दूर ले जाती हैं जब मैं लिख रहा होता हूँ कोई कविता तो मेरा उपहास उड़ाती हैं मेरी उँगलियाँ एक अंधे दौड़ में अनचाहे ही धकेल दिया गया हूँ मैं और मैंने जिसे जीतने की कोशिश भी नहीं की वहाँ हारा हुआ घोषित कर दिया गया है मुझे मैं सोचता था कुछ लिखूँगा कुछ पढ़ूँगा तो खूबसूरत होगी दुनिया कुछ घट जायेगा अवसाद कितने अजनबी दुखों का हो जाऊँगा साझीदार कविता लिखने से मन हल्का होता है जेब में वजन न हो तो मन हो जाता है भारी कवि होना कोई सफलता का पैमाना नहीं होता सफलता जेब से आती है ये निश्चित है मैं भूख से नहीं मरूँगा हालाँकि भूख से तो पशु भी नहीं मरते
By Gautam Anand
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