By Dr. Amit Prakash
पाँव ज़मीं पर नहीं मेरे,
इन बादलों पे सवार हूँ मैं,
मैं हूँ, और मेरी परछाई,
इस ज़माने के पार हूँ मैं,
बेफ़िक्र हूँ, बेखौफ़ हूँ,
मद्धम जलती अंगार हूँ मैं;
***
मैं किल्कारी, मैं आँसू भी,
दामन से छलकता प्यार हूँ मैं,
मैं मुश्किल हूँ, मैं आसां भी,
कभी जीत हूँ तो, कभी हार हूँ मैं;
***
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मुश्किलों का,
भट्टी में तपती तलवार हूँ मैं,
प्रतिकूल विषम चुनौती को,
उमीदों की ललकार हूँ मैं,
ये लहरें ये तूफान, तुम्हें मुबारक,
के कश्ती नहीं मझधार हूँ मैं;
***
मैं मद्धम हूँ, मैं कोमल हूँ,
और चीते सी रफ़्तार हूँ मैं;
के दर्दभरी मैं चीखें हूँ,
और घुँगरू की झनकार हूँ मैं;
***
मैं निर्दयी हूँ, मैं ज़ालिम हूँ,
पर मुहब्बत का तलबगार हूँ मैं,
तुम मुझसे हो, मैं तुमसे हूँ,
झुकते नैनों का इक़रार हूँ मैं;
***
मैं गीत भी हूँ, मैं कविता भी,
छन्दो में छुपा, अलंकार हूँ मैं,
मैं बोल भी हूँ, और साज़ भी मैं,
अपना ही गीत मलहार हूँ मैं;
***
मैं शायर हूँ, मैं आशिक़ भी,
इस प्रेम-प्रसंग का सार हूँ मैं;
मैं ये भी हूँ, मैं वो भी हूँ,
के सीमित नहीं अपार हूँ मैं…,
सीमित नहीं अपार हूँ मैं… ||
By Dr. Amit Prakash
Soulful lines
Very nice 👍
अद्भूत ♥️🫶
Soulful
👍