By Ruta Joshi

मोहब्बत छुपायी जो बताना उसे हैं ,लेकिन ये वक़्त सही नहीं ,
लम्हालम्हा बीत रहा उनके साथ का, ऐसी कितनी राते और ,बाकी हैं अभी !
माँ का हालचाल हैं पूछना ,हर रोज़ एक घंटा भी मिलता नहीं,
दादी का पीठदर्द हैं सुनना ,किसी और दिन भी हो पाता सही !
शुक्र मानना हैं ख़ुदा का ,रहमत उसही की तो कामयाबी,पर बुढ़ापे तक रुख़ सकते अभी ,
माफ़ी माँगना ज़रूरी हैं किसी से ,इतनी अज़मत तो अब तक ,गवायी हैं नहीं !
दोस्त रहता जो बग़ल में ,कई दिनों से कुछ कह रहा, वक़्त भागा तो जाता नहीं,
उमंग वह बचपन की हो अब मुकम्मल ,उम्र सारी तो पड़ी है यही !
क्या सचमे इतना वक्त हैं हमारे पास?
हर ख्वाहिश जीने का मौक़ा क्या हैं हमारे पास ?
कट रही हैं ज़िंदगी हिसाब कुछ हैं हमारे पास ?
वक्त का फ़ैसला करना ,क्या हैं हमारे हाथ ?
अरे,फिर घर लौट आना ,यक़ीन हैं हमारे साथ ?
मंसूबा मुताबिक़ जीने का हक्क हमारा होता काश !
सोचो ,इतना वक्त अगर हैं तुम्हारे पास !
By Ruta Joshi
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