By Sushma Vohra
दिल का हाल लिखूं ,
या नैनों की वैचेनी लिखूं ,
समझ न आएं क्पा कहूं प्रिय ,
याद में तेरी क्या-2 लिखूं ।
ये छोटा सा पन्ना रे ,
मेरे दिल का हाल क्या जाने ,
जो भाव मेरे अपने थे प्रिय ,
वो खत क्या तुझसे कहे ।
नैनो की भाषा क्या समझते,
चेहरे का भाव कैसे पढ़ते,
काश जब मैं खत लिखती प्रिय,
दिल की धड़कन तुम सुनते ।
पल-पल तेरी याद सताती ,
मन को मेरे बडा तरसाती,
वक्त जैसे थम गया है प्रिय,
छोटी पर गई है पाती ।
उमंगो के इस उपवन में ,
फैले जज्बात पुष्प रूप में ,
एहसास मेरे हैं मेरे है प्रिय ,
कैसे कहदू इस पाती में ।
शब्दों से सजी पंखुडियों है ,
प्रेम की सुगंध इसमें है,
खुशबु से सजे खत प्रिय,
शब्द प्रेम भाव लिए तुम्हारा है ।
ख्वाबो से सजी है रातें ,
अल्फाजों में बंधी है बातें ,
क्या लिखूं क्या न लिखूँ प्रिय ,
ये मेरे मन की है बातें ।इक इस कोरे पन्ने पे ,
क्या-2 लिखूं आज मैं ।
By Sushma Vohra
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