By Shrey Ashish Dongre
घूम घूमकर बाजारों में बेच रहा हु दिल मेरा
कोई दाम लगाएगा क्या
कही गुम गया है बचपन का सुकून मेरा
कोई लौटा पाएगा क्या
और अब ये सूनापन सेहन नहीं होता
कोई इस ग़म की तरह साथ दे पाएगा क्या
घूम घूमकर बाजारों में बेच रहा हु दिल मेरा
कोई दाम लगाएगा क्या
मैं भी गुलाब सा खिलता था
मै बादलों की तरह फिरता था
आंखों मै सपने हजारों थे मेरे
और हर एक कदम फुक फुक के रखता था
आंखें भरोसे से बंद थी और कसमों ने मेरे होठ सिल दिए
तभी आकर कोई तोड़ गया है दिल मेरा
क्या कोई जोड़ पाएगा क्या
लोग कहते है ये सिर्फ प्यार से जुड़ता है
प्यार क्या होता है मुझे कोई बताएगा क्या
घूम घूमकर बाजारों में बेच रहा हु दिल मेरा
कोई दाम लगाएगा क्या
By Shrey Ashish Dongre
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