By Rashmita Potphode
भूख का मरहम हूं, और खाने का पहरेदार हूं! खेत की माटी मेरी मां, और मैं भी उसका लाल हूं!! मेरी आंख का आंसू, और राजनीति का गुलाम हूं!किस्मत से किसान हूं, और दुनिया में कर्जदार हूं !!१!! तुम ए.सी. कूलर के शहजादे, और मै पेड़ो की छांव हूं! तुम नर्म बिस्तर पर लेटे, और मै पगडंडी पर बैठा है हूं!! तुम अखबारों के राजा, और मै महज एक नौकर हूं! किस्मत से किसान हूं, और दुनिया में कर्जदार हूं !!२!! बैल, खेत खलिहान सब, मुवावजो में लपेटे हूं! बिन बिहाई बेटी को, अपने घर मे समेटे हूं!! जब रास्ता कोई नही, तो खुद मौत की गोद में हूं!! किस्मत से किसान हूं, और दुनिया में कर्जदार हूं !!३!!
By Rashmita Potphode
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